काश सड़कों की तरह ज़िन्दगी के ,
रास्तों पर लिखा होता ज़रा संभाल के..
आगे ख़तरनाक मोड़ है...
रास्तों पर लिखा होता ज़रा संभाल के..
आगे ख़तरनाक मोड़ है...
फन "कुचलने" का हुनर भी सीखिए, सांप" के ख़ौफ़ से "जंगल" नहीं छोड़ा करते...
सोचने से कहाँ मिलते है
तमन्नाओं के शहर
चलने की जिद भी जरुरी है
मंजिल पाने के लिए।।
हुनर होगा तो दुनिया,
खुद कदर करेगी...
एडियाँ उठाने से,
किरदार ऊँचे नही होते...
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