चांदणी रात मे बरसात बुरी लगती है,
और दर्द सिने मे हो हर बात बुरी लगती है,
अदा कि मोहिनी सुरत बिघाड देती है,
और बडे बडो को जरुरत बिघाड देती है ,
इस रंग भरी दुनिया मे,
सम्भल कर चालना यारो,
क्योकी कभी कभी शरीफ लोगो को,
औरत बिघाड देती है,
गैरों से गिला क्या करे जब अपने बदल गये,
आईना वोही है मगर चेहरे बदल गये ,
गैरों से गिला क्या करे जब अपने बदल गये,
अपनी किस्मत पे ऐतबार किसको है ,
मिलजाये अगर खुशिया तो इन्कार किसको है ,
और कूछ म्ज्बुरीया है यारो वरना ,
जुदाई से प्यार किसको है ,
गैरों से गिला क्या करे जब अपने बदल गये,
मेहंदी का रंग देख कर इस मत देखी ये ,
क्योकी घर मे बहु के आते हि बेटे बदल गये ,
गैरों से गिला क्या करे जब अपने बदल गये,
दिल्लगी से दिल लागाया ,
दिल लगी के घर गये और जब दिल्लगी ने मना किया तो दिल्लगी मे मर गये ,
जिसको दिल दिया वो दिल्ली चली गई और जब मै दिल्ली पहुचा तो इटली चली गयी ,
मैने सोचा जान देदू लाईट के करंट को पकडके कम्बख्त उस टायीम बिजली चली गई ,
गैरों से गिला क्या करे जब अपने बदल गये}
मै भी वही हु मेरी मोह्होबत भी वही,
फिर तेरी नजर के वो इशारे बदल गये ,
गैरों से गिला क्या करे जब अपने बदल गये,
जब था पैसा पास मेरे तो नाते हजार थे लेकीन ,
जब मै हुआ गरीब तो नाते बदल गये ,
गैरों से गिला क्या करे जब अपने बदल गये,
आईना वोही है मगर चेहरे बदल गये ...
गैरों से गिला क्या करे जब अपने बदल गये...
Nice
ReplyDeleteThank you
Delete👏👏👏 kyaa baat haii...!!!
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